Neem Karoli Baba

नीम करोली बाबा(Neem Karoli Baba)का जीवन

नीम करोली बाबा(Neem Karoli Baba)जिन्हें महाराज-जी के नाम से भी जाना जाता है, एक आध्यात्मिक गुरु थे। इनका जन्म सन 1900 के आसपास ब्राह्मण परिवार में भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के फ़िरोज़ाबाद जिले के अकबरपुर नामक गांव में हुआ था। इनका बचपन का नाम लक्ष्मण नारायण शर्मा था। इनके पिताजी का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था। मात्र 11 साल की उम्र में इनका विवाह कर दिया गया था। बचपन से ही इनमें एक तेजस्वी ओस था दूर दूर से लोग इनको देखने आते थे।

इनका प्रारंभिक जीवन का झुकाव गहन आध्यात्मिक की ओर था, और उन्होंने अपनी युवावस्था का अधिकांश समय आध्यात्मिक ज्ञान और अनुभवों की तलाश में बिताया। 11 साल की उम्र में ही इन्होंने अपना घर छोड़ दिया और अलग-अलग स्थानों पर जाते रहे फिर यह गुजरात के बबनिया गए और 7-8 साल इन्होंने वहां तपस्या की और 8 सिद्धियां हासिल की।

नीम करोली बाबा(Neem Karoli Baba)के कई आश्रम है। लेकिन जो आश्रम बहुत ज्यादा प्रषिद है वो है कैंची धाम,बाबा इसी मंदिर में रहते थे। नीम करोली बाबा के आश्रम के द्वार सभी के लिए खुला रहते थे चाहे वो किसी भी धर्म का हो, चोर, डाकू,भक्तजन कोई भी हो सबके लिए उनके हृदय में स्नेह रहता था। कहा जाता है की चोर, डाकू उनके शरण में आकर खुद समर्पण कर देते थे। उन्होंने प्रेम, निस्वार्थ सेवा और सभी धर्मों की एकता के सार्वभौमिक सिद्धांतों पर जोर दिया।

नीम करोली बाबा(Neem Karoli Baba)को कई नामो से भी जाना जाता है जैसे -हांड़ी वाला बाबा,तिकोनिया वाला बाबा, लक्ष्मण दस इत्यादि। नीम करोली बाबा के मुख्यता दो आश्रम है एक तो वृन्दावन और दूसरा कैंची धाम। नीम करोली बाबा के जीवन का एक विशिष्ट पहलू उनकी सादगी और विनम्रता थी।वह अक्सर सरल, बोलचाल की भाषा में बात करते थे, गहन आध्यात्मिक सच्चाइयों को व्यक्त करने के लिए दृष्टान्तों और कहानियों का उपयोग करते थे।

उनकी शिक्षाओं ने विविध पृष्ठभूमि और धर्मों के लोगों को आकर्षित किया, जिससे एक आध्यात्मिक समुदाय का निर्माण हुआ जो धार्मिक सीमाओं से परे था। उन्होंने अपनी युवावस्था का अधिकांश समय आध्यात्मिक ज्ञान और अनुभवों की तलाश में गुजरा।नीम करोली बाबा(Neem Karoli Baba)की प्रसिद्ध कहावतों में से एक थी “सभी से प्यार करो, सभी की सेवा करो, भगवान को याद करो। नीम करोली बाबा के भक्त केवल देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी हैं। एप्पल के फाउंडर स्टीवे जॉब्स , फेसबुक के फाउंडर मार्क जकरबर्ग,हॉलीवुड एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट आदि ऐंसे कई लोग हैं विदेश में जो उनके भक्त हैं।  

नीम करोली बाबा(Neem Karoli Baba)नाम पड़ने के पीछे की कहानी।

नीम करोली बाबा(Neem Karoli Baba)इधर-उधर घूमते रहते थे तो एक बार फारूखाबाद के पास एक गांव है नीम करोड़ी तो वहां से वे ट्रैन में जा रहे थे गलती से ट्रैन की फर्स्ट क्लास डिब्बे में चढ़ गए। ट्रैन में चढ़ने के बाद टिकट चेक करने के लिए टी टी आया। उसने नीम करोली बाबा से टिकट दिखाने के लिए बोला, बाबा के पास टिकट नहीं था तो टी टी ने उन्हें ट्रैन से नीचे उतरने के लिए बोला तो नीम करोली बाबा ट्रैन से नीचे उतर गए।

उनके ट्रैन से नीचे उतर ने के बाद वह ट्रैन स्टार्ट ही नहीं हुई बहुत कोशिस की लेकिन ट्रैन शुरू ही नहीं हो पाई। नीम करोली बाबा ट्रैन के सामने ही बैठे थे।

जब ट्रैन स्टार्ट नहीं हुई तब ड्राइवर और टीटी दोनों को अनुभव हुवा की बाबा को ट्रैन से नीचे उतार ने पर कितनी बड़ी गलती कर दी। तब ट्रैन के ड्राइवर और टीटी दोनों ने बाबा से क्षमा मांगी और ट्रैन में दोबारा से बैठने के लिए बोला, नीम करोली बाबा मान तो गए थे लेकिन उन्होंने दो सर्त रख दी। पहला की तुम साधु संतो के साथ अच्छा व्यवहार करोगे और दूसरा इस जगह पर एक स्टेशन बनाया जाये। नीम करोली बाबा(Neem Karoli Baba)की दोनों बातें मान ली गई और वहां से उनका नाम नीम करोली बाबा पड़ा ।

नीम करोली बाबा(Neem Karoli Baba)के चमत्कार

  • एक दिन कैंची धाम आश्रम में भंडारा था. बड़ी संख्या में भक्त आश्रम में भंडारे खाने आए लेकिन इस दौरान भंडारा बनाने के लिए घी कम पड़ गया। नीम करोली बाबा के अनुयायियों ने इस बात की जानकारी उन तक पहुंचाई. नीम करौली बाबा जी ने अपने भक्तों से कहा चिंता मत करो, पास में ही बह रही नदी से दो कनस्तर पानी ले कर आओ. भक्तों ने ऐसा ही किया वह पानी भरकर ले आए और कढ़ाई में डाल दिया। और नीम करोली बाबा(Neem Karoli Baba) के चमत्कार से कढ़ाई में डाला पानी घी में बदल गया और उसमें गर्मा-गर्भ पूड़िया तली जाने लगी. सभी भक्त ये देखकर हैरान रह गए।  दूसरे दिन बाबा के आदेश पर दो कनस्तर घी बाजार से मंगवा कर नदी में वापस प्रवाहित कर दिया।
  • एक बार अमेरिकी नागरिक रिचर्ड अल्बर्ट जो की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे वह भारत दर्शन के लिए आये थे। भारत दर्शन करते करते  इनको पता चला की कैंची धाम में एक चमत्कारी बाबा रहते हैं, तो वह वहां चले गए। रिचर्ड अल्बर्ट उस समय तनाव से जूझ रहे थे। तो एक रात वह अकेले बैठ के तारों को देख रहे थे। तभी वहां पे नीम करोली बाबा आए और रिचर्ड अल्बर्ट को बोला क्या हुआ बेटा तुम तारों में अपनी माँ को देख रहे हो, और हाँ मुझे ये पता है की तुम्हरी माँ का देहांत कैंसर से हुआ था। जब रिचर्ड अल्बर्ट ने ये सब सुना तो वह सन रह गया और नीम करोली बाबा(Neem Karoli Baba)के चरणों में गिर गया। तब उसे एहसास हुआ की यह बाबा तो सच में चमत्कारी है, किसी भगवन से कम नहीं। उसके बाद से रिचर्ड अल्बर्ट नीम करोली बाबा के भक्त बन गए और अपना नाम रिचर्ड अल्बर्ट से बदल कर राम दास रख दिया।   
  • क्यूंकि रिचर्ड अल्बर्ट एक कमेस्ट्री के प्रोफेसर थे तो ये अपने साथ एक ड्रग्स ले के आये थे जोकि बहुत ख़तरनाक था। तो रिचर्ड अल्बर्ट ने इसके बारे में नीम करोली बाबा को बताया की अगर इसकी तीन चार गोली एक-साथ लेंगे तो मौत हो जाएगी। तो रिचर्ड अल्बर्ट के पास उस ड्रग्स की जितनी गोली थी बाबा ने वो सारी एक-साथ खाली और उन्हें कुछ नहीं हुआ। फिर उन्होंने रिचर्ड अल्बर्ट से कहा की मज़ा ही नहीं आया, असली मज़ा जो है वह तो भगवन की शादना में हैं। ये सब देख कर और सुन कर रिचर्ड अल्बर्ट (राम दास) ने अपने आप को नीम करोली बाबा को  पूर्ण रूप से समर्पण कर दिया। उसके बाद रिचर्ड अल्बर्ट (राम दास) ने नीम करोली बाबा पर एक किताब “मिरेकल आफ लव” भी लिखी।

नीम करोली बाबा(Neem Karoli Baba)की मृत्यु

नीम करोली बाबा(Neem Karoli Baba)11 सितंबर 1973 को बाबा अपने वृंदावन स्थित आश्रम में थे. अचानक उनकी तबीयत खराब होने लगी. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया  जहां डॉक्टरों ने उन्हें ऑक्सीजन मास्क लगाया लेकिन बाबा ने इसे लगाने से मना कर दिया. उन्होंने वहां मौजूद भक्तों से कहा अब मेरे जाने का समय आ गया है और उन्होंने तुलसी और गंगाजल ग्रहण किया और साथ में लगातार “ॐ जय जगदीश” का जप कर रहे थे। ऐसा करते-करते उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया।

नीम करोली बाबा कौन थे?

नीम करोली बाबा(Neem Karoli Baba)जिन्हें महाराज जी के नाम से भी जाना जाता है, एक आध्यात्मिक गुरु थे। वह प्रेम, भक्ति और ईश्वर के मार्ग पर अपनी शिक्षाओं के लिए जाने जाते हैं।

नीम करोली बाबा का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

नीम करोली बाबा का जन्म सन 1900 के आसपास भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के फ़िरोज़ाबाद जिले के अकबरपुर नामक गाँव में हुआ था।

क्या नीम करोली बाबा किसी विशिष्ट धार्मिक परंपरा का पालन करते थे?

हालाँकि नीम करोली बाबा की पृष्ठभूमि हिंदू थी और उनका भगवान हनुमान जी से गहरा संबंध था, उन्होंने सिखाया कि सभी धर्म एक ही सत्य की ओर ले जाते हैं। उन्होंने सभी धर्मों के लोगों को स्वीकार किया और किसी विशेष धार्मिक हठधर्मिता को बढ़ावा नहीं दिया।

नीम करोली बाबा की शिक्षाएँ क्या थीं?

नीम करोली बाबा ने आध्यात्मिक अनुभूति प्राप्त करने के साधन के रूप में प्रेम, भक्ति और निस्वार्थ सेवा (सेवा) के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने सिखाया कि सभी रास्ते ईश्वर की ओर जाते हैं और लोगों को हर किसी में ईश्वर को देखने के लिए प्रोत्साहित किया।

नीम करोली बाबा को “महाराज-जी” नाम कैसे मिला?

“महाराज-जी” शीर्षक सम्मान और प्रेम का एक शब्द है, जिसका अर्थ है “सम्मानित महोदय” या “सम्मानित गुरु।” यह नीम करोली बाबा को उनके भक्तों द्वारा श्रद्धा के प्रतीक के रूप में दिया गया था।

क्या नीम करोली बाबा से जुड़ा कोई विशिष्ट आश्रम है?

हाँ, नीम करोली बाबा ने भारत में नैनीताल, ऋषिकेश और वृन्दावन में कैंची धाम सहित विभिन्न स्थानों पर आश्रम स्थापित किए। ये आश्रम आध्यात्मिक अभ्यास, ध्यान और सामुदायिक सेवा के केंद्र के रूप में कार्य करते हैं।

नीम करोली बाबा का आध्यात्मिकता के प्रति दृष्टिकोण क्या है?

नीम करोली बाबा का दृष्टिकोण सरल और सार्वभौमिक था। उन्होंने प्रेम और भक्ति, निस्वार्थ सेवा और ईश्वर के प्रति समर्पण के अभ्यास पर जोर दिया। गहन आध्यात्मिक पाठ पढ़ाने के लिए वह अक्सर हास्य और अपरंपरागत तरीकों का इस्तेमाल करते थे।

नीम करोली बाब ने अपना शरीर कब त्यागा ?

नीम करोली बाबा ने 11 सितंबर, 1973 को भारत के वृन्दावन शहर में अपना शरीर त्याग था।

नीम करोली बाबा की विरासत क्या है?

नीम करोली बाबा की विरासत उनकी शिक्षाओं, उनके नाम पर स्थापित कई आश्रमों और उनके मार्गदर्शन का पालन करने वाले आध्यात्मिक समुदाय के माध्यम से जीवित है। प्रेम और स्वीकृति का उनका संदेश दुनिया भर में लोगों को प्रेरित करता रहता है।

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