पंच केदार(Panch Kedar)भारत के उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित है, यह पंच केदार(केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर) भगवान शिव जी को समर्पित पाँच मंदिर है, जो गढ़वाल के अलग-अलग स्थानों में स्थित है। इन पांच मंदिरों में भगवान शिव जी के शरीर के पांच अलग-अलग भागों की पूजा होती है। इन पंच केदार मंदरों का सम्बन्ध पांडवों से जुड़ा हुआ है, उन्होंने ही इन मंदिरों का निर्माण किया था।
यह मंदिर शिवभक्तों के लिए महत्वपूर्ण है। यह पंच केदार(Panch Kedar) मंदिर हिमालय के दुर्गम स्थानों में स्थित है,जहाँ पहुंचना आसान नहीं है बहुत कठिन पैदल यात्रा करके इन मंदिरों तक पहुंचा जाता है। पंच केदार मंदिर मुख्य रूप से उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र के दो जिले (रुद्रप्रयाग और चमोली) में स्थित है, जिनमें से तीन मंदिर (केदारनाथ, तुंगनाथ और मध्यमहेश्वर) रुद्रप्रयाग में और दो (रुद्रनाथ,और कल्पेश्वर) चमोली में स्थित हैं।
पांडवों से जुड़ा पंच केदार(Panch Kedar)का संबंध
पांडव अपने द्वारा महाभारत के युद्ध में अपने भाइयों और गुरुओं की हत्या करने पर दुखी थे। वह उन पर लगे ब्रह्महत्या और गोत्र हत्या के पाप का प्रायश्चित करना चाहते थे और मुक्ति पाना चाहते थे, जिसके लिए भगवान कृष्णा ने उन्हें भगवान शिव की आराधना करने और उनसे मिलने को बोला। लेकिन भगवान शिव पांडवों से नाराज थे और उनसे मिलना नहीं चाहते थे इसलिए वह उनसे दूर अलग-अलग स्थानों में छुप रहे थे।
सबसे पहले पांडव शिवजी को ढूंढने वाराणसी गए लेकिन शिव जी उन्हें वहां नहीं मिले। ऐसे ही शिव जी पांडवों से छुपते-छुपते केदार खंड (आज का गढ़वाल क्षेत्र ) आ गए, लेकिन किसी तरह पांडवों को पता चल गया की भगवान शिव केदार खंड में छुपे हुए हैं ,तो पांडव भी केदार खंड पहुँच गए। पांडवों को केदारखंड आता देख भगवन शिव जी ने एक बैल का रूप धारण कर लिया और वहां चारा चर रहे अन्य पशुओं के साथ झुंड में शामिल हो गए।
लेकिन भीम ने उन्हें झुंड में पहचान लिया और उन्हें पकड़ने की कोशिश की तो वह बैल धरती में समाने लगा तभी भीम ने बैल का कुबड़ा मजबूती से पकड़ दिया और शरीर के बाकि हिस्से अलग-अलग जगह प्रकट हुए। जिन पांच जगहों पर बैल के शरीर के पांच अलग-अलग हिस्से प्रकट हुए उन्हें पंच केदार कहते है।
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पंच केदार(Panch Kedar)मंदिर
पंच केदार(Panch Kedar) मंदिर पांच मंदिरों का समूह है जो भगवान् भोलेनाथ को समर्पित है। यह पंच केदार (Panch Kedar)मंदिर पांच अलग-अलग स्थानों पर स्थित है। इन पंच केदार(Panch Kedar) में से कल्पेश्वर को छोड़ कर बाकि चारों केदार के कपट शीतकालीन के लिए बंद हो जाते हैं। आये जानते हैं पंच केदार मंदिरों के बारे में :-
केदारनाथ :- केदारनाथ मंदिर पंच केदार(Panch Kedar)में प्रथम केदार है। यह उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में हिमालय की गोद में और मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है,जो समुद्र तल से लगभग 3583 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद है। यह भगवान भोनेनाथ जी के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग है, जिसकी बहुत मान्यता है। केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के छोटे चार धामों (बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री) में से एक धाम है, जिसकी अपनी बहुत महत्ता है। हिन्दू पुराणों के अनुसार भगवान् शिव केदारनाथ मंदिर में साक्षात् विराजमान रहते है।
केदारनाथ में भगवान भोलेनाथ जी बैल की पीठ जैसे त्रिकोणाकार (बैल के कुबड़े) के रूप में विराजमान है और इसी रूप में यहाँ उनकी पूजा होती है। केदारनाथ मंदिर हिमालय के दुर्गम क्षेत्र में स्थित है, शीतकाल में यहाँ बहुत ज्यादा बर्फ़बारी होती है, जिसके के कारण शीतकाल में केदारनाथ जी के कपाट 6 महीने के लिए बंद हो जाते है और उनकी डोली नीचे ऊखीमठ में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में रखी जाती है और यहीं उनकी पूजा की जाती है।
केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने और बंद करने के लिए हिन्दू पंचांग के अनुसार तिथि तय की जाती है। केदारनाथ की यात्रा बहुत कठिन है, लगभग 16 से 18 किलोमीटर की पैदल यात्रा है। कई लोग खच्चर के सहारे ये यात्रा पूरी करते हैं तो कई हेलीकॉप्टर से। लेकिन कहा जाता है की केदारनाथ की असली यात्रा पैदल चलकर ही की जाती है, तभी वह यात्रा पूर्ण और सफल मानी जाती है।

मध्यमहेश्वर :-मध्यमहेश्वर मंदिर पंच केदार (Panch Kedar)में से द्वितीय केदार है,जो रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यहाँ भगवान शिव जी का बैल के रूप में शरीर का मध्य भाग यानी (नाभि ) प्रकट हुई थी, इसलिए यहाँ भगवान् शिव जी की नाभि स्वरुप में पूजा की जाती है। मध्यमहेश्वर हिमालय की गोद में बसा एक सुन्दर शिव मंदिर है जो अपनी सुंदरता, मखमली घास का बुग्याल, हरा भरा जंगल, हिमालय का अद्भुत दृश्य और आध्यात्म के लिए प्रसिद्ध है।
मध्यमहेश्वर मंदिर समुद्र तल से लगभग 3497 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। शीतकाल में भारी हिमपात होने की कारण मध्यमहेश्वर मंदिर की यात्रा करना कठिन हो जाता है इसलिए यहाँ के कपाट 6 महीने के लिए बंद हो जाते हैं और उनकी पूजा ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में की जाती है। मध्यमहेश्वर मंदिर के कपाट खुलने या बंद होने की तिथि हिन्दू पंचांग के अनुसार की जाती है। मध्यमहेश्वर में लोग ट्रेकिंग करने भी आते हैं।

तुंगनाथ :- तुंगनाथ मंदिर पंच केदार(Panch Kedar) में से तृतीय केदार है, जो उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के चोपता नामक स्थान में स्थित है। यहाँ भगवान शिव जी की बैल रूप में भुजा प्रकट हुई थी, इसलिए यहाँ भगवान भोलेनाथ जी की भुजा रुपी शिवलिंग की पूजा की जाती है। तुंगनाथ मंदिर विश्व का सबसे ऊँचाई पर स्थित शिव मंदिर है,जो समुद्रतल से लगभग 3680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। तुंगनाथ मंदिर दुर्गम पहाड़ी पर स्थित है। यहाँ तक पहुँचने के लिए ट्रेक (पैदल यात्रा) करके जाना पड़ता है, यह ट्रेक छोटा लेकिन बहुत ही सुन्दर है।
तुंगनाथ मंदिर के ऊपर पहाड़ी की चोटी पर स्थित है चंद्रशिला, जो इस क्षेत्र की सबसे ऊँची पहाड़ी है। तुंगनाथ से चंद्रशिला की दूरी लगभग 2 किलोमीटर की है। चंद्रशिला से हिमालय का चारों और का दृस्य दिखाई देता है। सर्दियों में यहाँ भारी बर्फ़बारी होती है जिसके कारण 6 महीनों के लिए तुंगनाथ जी के कपाट बंद हो जाते हैं और उनकी डोली मक्कूमठ स्थित मंदिर में ले जाई जाती है और यहीं उनकी पूजा होती है।

रुद्रनाथ :- रुद्रनाथ मंदिर पंच केदार (Panch Kedar)में से चतुर्थ केदार है, यह उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित है। रुद्रनाथ में भगवान शिवजी का मुख प्रकट हुआ था, यहां भगवान् शिव जी के मुख की पूजा की जाती है। रूद्रनाथ मंदिर पंच केदार में से सबसे दूर और दुर्गम स्थान में स्थित है, यह समुद्रतल से लगभग 3600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। पंच केदार में से सबसे लंबी और कठिन यात्रा रुद्रनाथ जी की ही है, यहाँ लगभग 20 किलोमीटर ट्रेक करके जाना पड़ता है।
रुद्रनाथ मंदिर तक जाने का रास्ता बहुत ही सुन्दर है, यह अपनी कठिन यात्रा और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है जो हरे बुग्याल (घास के मैदान ) और हिमालय की चोटियों के पास से होकर जाता है। यहाँ से हिमालय पर्वत की कई चोटियाँ दिखाई देते है, जैसे (नंदादेवी, त्रिशूल,नंदा घुंटी,चौखम्बा और हाथी पर्वत) आदि। रुद्रनाथ जी के कपाट भारी हिमपात के कारण 6 महीने के लिए बंद हो जाते हैं और उनकी डोली वहां से नीचे लाकर गोपेश्वर स्थित गोपीनाथ मंदिर में रखी जाती है और यहीं उनकी पूजा होती है।

कल्पेश्वर :- रुद्रनाथ मंदिर पंच केदार(Panch Kedar) में पांचवां केदार है, यह मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। यहाँ भगवान् शिव जी की जटा प्रकट हुए थी, इसलिए यहाँ कल्पेश्वर में उनकी जटा रूप में पूजा होती है। पंच केदार में कल्पेश्वर एक मात्र केदार है, जिसके कपाट साल भर खुला रहते हैं। जबकि अन्य चार केदार के कपाट सर्दियों में भारी हिमपात के कारण बंद हो जाते हैं। यह अन्य चार केदार की तुलना में कम ऊँचाई पर स्थित है। कल्पेश्वर मंदिर समुद्र तल से लगभग 2200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
कल्पेश्वर मंदिर के दर्शन करने के लिए साल में किसी भी समय जाया जा सकता है, यहाँ सड़क के जरिये आसानी से पहुंचा जा सकता है। कल्पेश्वर मंदिर उर्गम घाटी में स्थित है, उर्गम घाटी चमोली की सबसे सुन्दर घाटियों में से एक हैं। यहाँ चारो ओर फैली हरियाली,पहाड़ी सीढ़ीदार खेत और बर्फ से ढके पहाड़ों का मनोरम दृश्य दिखाई देता है, जो यहाँ आने वाले तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों का मन मोह लेता है।

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