लद्दाख में पूर्ण राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को लेकर आंदोलन हिंसक हो गया। लेह में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में 4 लोगों की मौत और 50 से ज्यादा घायल हुए। सोनम वांगचुक ने शांति की अपील की।
Ladakh Protest:- लद्दाख की राजधानी लेह बुधवार को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों का गवाह बनी। पूर्ण राज्य का दर्जा (Statehood) और छठी अनुसूची (Sixth Schedule) में शामिल करने की मांग को लेकर शांतिपूर्ण आंदोलन अचानक हिंसा में बदल गया। इस दौरान हुई झड़पों में चार लोगों की मौत हो गई और 50 से ज्यादा लोग घायल हुए।
लद्दाख में कैसे भड़की हिंसा?
Ladakh Protest:- जानकारी के मुताबिक, लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) पिछले चार साल से पूर्ण राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। 10 सितंबर से लेह एपेक्स बॉडी (LAB ) की युवा संगठन ने 35 दिन की भूख हड़ताल शुरू की थी। इसी दौरान दो बुजुर्ग प्रदर्शनकारी बेहोश होकर अस्पताल में भर्ती हुए थे। यह खबर लोगों में तेजी से फैली और बुधवार को छात्रों व युवाओं ने शहर बंद का आह्वान कर दिया।
बड़ी संख्या में लोग एनडीएस मेमोरियल ग्राउंड पर जुटे और नारेबाजी करते हुए सड़कों पर निकल पड़े। हालात तब बिगड़े जब कुछ युवाओं ने भाजपा कार्यालय और हिल काउंसिल मुख्यालय की ओर कूच किया और गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने भाजपा दफ्तर में तोड़फोड़ की, फर्नीचर और कागज़ों में आग लगा दी और बाहर खड़ी सुरक्षा गाड़ी को भी जला दिया। स्थिति काबू से बाहर होते देख पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया। इसी दौरान हुई झड़प में चार लोगों की मौत हो गई और 50 से ज्यादा लोग घायल बताये जा रहे।
(Ladakh Protest) स्थिति को देखते हुए प्रशासन की कार्रवाई
Ladakh Protest:- हिंसा के बाद लेह के जिलाधिकारी ने धारा 144 लगा दी । इसके तहत चार से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा दी गई है। वहीं, रविवार से शुरू हुए चार दिवसीय लद्दाख फेस्टिवल का समापन समारोह भी प्रशासन ने रद्द कर दिया।
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लद्दाख में क्यों उठी छठी अनुसूची की मांग?
लद्दाख पहले जम्मू-कश्मीर राज्य का हिस्सा था। लेकिन 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद इसे जम्मू-कश्मीर से अलग करके एक केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर को विधानसभा दी गई, तो वहीं लद्दाख को सीधे केंद्र सरकार के अधीन कर दिया गया।
लद्दाख की 90% से अधिक आबादी अनुसूचित जनजातियों (Scheduled Tribes) से ताल्लुक रखती है। यही कारण है कि स्थानीय संगठन इसे छठी अनुसूची के तहत लाना चाहते हैं। संविधान की छठी अनुसूची अभी भारत के चार पूर्वोत्तर राज्यों (असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम ) में लागू है। संविधान की छठी अनुसूची वहां की जनजातीय लोगों को विशेष अधिकार देती है, जैसे कि स्वायत्त जिला परिषदों के जरिए प्रशासनिक और वित्तीय फैसले लेने की शक्ति, भूमि और प्राकृतिक संसाधनों पर इनका हक़ तथा उनकी संस्कृति और उनकी पहचान को संरक्षित किया जा सकता है।
सोनम वांगचुक की लोगों से अपील
Ladakh Protest:- सोनम वांगचुक भी इस आंदोलन से जुड़े हुए थे। उन्होंने हाल ही में 15 दिन की भूख हड़ताल शुरू की थी, जिसे उन्होंने बुधवार को हिंसा के बाद समाप्त कर दिया। वांगचुक ने सोशल मीडिया पर प्रदर्शनकारी से अपील करते हुए कहा –“आज लेह में बहुत दुखद घटनाएं हुईं। मेरा शांतिपूर्ण रास्ते का संदेश नाकाम रहा। मैं युवाओं से अपील करता हूं कि ऐसी हरकतें न करे , क्योंकि इससे हमारी असली मांगों को ही नुकसान पहुंचेगा।”
लद्दाख में विरोध प्रदर्शन क्यों हुआ?
लद्दाख में पूर्ण राज्य का दर्जा (Statehood) और छठी अनुसूची (Sixth Schedule) में शामिल किए जाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है ।
लद्दाख में छठी अनुसूची लागू करने की मांग क्यों हो रही है?
लद्दाख की लगभग 90% आबादी अनुसूचित जनजाति (ST) से जुड़ी है। वहां के लोगों का कहना है कि छठी अनुसूची लागू होने से उनकी संस्कृति, पहचान और ज़मीन की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
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