Kedarnath Mandir

Kedarnath Mandir-केदारनाथ धाम भारत में उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में हिमालय की गोद में और मंदाकिनी नदी पास स्थित है। केदारनाथ मंदिर चारो और से हिमालय के ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों से घिरा हुआ है और समुद्र तल से लगभग 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। केदारनाथ धाम भगवान शिव जी को समर्पित प्राचीन मंदिर है और यह भगवान शिव शंकर जी के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग है, जिसकी बहुत मान्यता है।

हिन्दू पुराणों के अनुसार भगवान् शिव केदारनाथ मंदिर में साक्षात् विराजमान रहते है। केदारनाथ धाम भगवान् शिव के भक्तो के लिए सबसे प्रमुख स्थानों में से एक है। यह उत्तराखंड के पवित्र छोटा चार धाम मंदिरों में से भी एक महत्वपूर्ण मंदिर है तथा साथ ही साथ केदारनाथ मंदिर उत्तरखंड के पंच केदारों यानि की गढ़वाल हिमालय में 5 शिव मंदिरों में भी सबसे महत्वपूर्ण मंदिर है।

केदारनाथ मंदिर(Kedarnath Mandir)की संरचना

केदारनाथ मंदिर(Kedarnath Mandir)की भव्य संरचना भूरे विशाल पत्थरों तथा कत्यूरी वास्तुकला शैली में निर्मित है। भगवान् शिव का यह मन्दिर लगभग छह फीट ऊँचे चौकोर चबूतरे पर बना हुआ है। केदारनाथ मंदिर के मुख्य भाग मण्डप और गर्भगृह के चारों ओर प्रदक्षिणा पथ है। गर्भ गृह के मध्य में भगवान श्री केदारनाथ जी का ज्योतिर्लिंग स्थित है तथा अग्र भाग पर भगवान् श्री गणेश जी की आकृति और साथ ही माता पार्वती का श्री यंत्र विद्यमान है।

श्री केदारनाथ मंदिर के ज्योतिर्लिंग में नव लिंगाकार विग्रह विद्यमान है इस कारण केदारनाथ ज्योतिर्लिंग को नव लिंग केदार भी कहा जाता है। केदारनाथ मंदिर के बाहर प्रांगण में भगवान् शिव के प्रिय वाहन नन्दी जी की मूर्ति बैल के रूप में विराजमान है। 

केदारनाथ मंदिर(Kedarnath Mandir)की स्थापना कैसे हुई?

केदारनाथ मंदिर(Kedarnath Mandir)की स्थापना के कई कथा है। कहा जाता है की जहाँ बद्रीनाथ धाम है वहां पहले भगवन शिव जी का वास हुआ करता था। एक बार भगवान विष्णु ने लीला से माता पार्वती को पुत्र मोह में फसा कर केदार खंड का स्थान मांग लिया था। उसके बाद भगवान श्री हरी के आग्रह से भगवान शिव और माता पार्वती केदार शिखर पर वास करने चले गए थे। जहाँ आज केदारनाथ मंदिर स्थित है।

दूसरी कथा जो महाभारत से जुडी है।

महाभारत युद्ध में पांडव अपने भाई,रिश्तेदारों और गुरुओं के वध के पापों से मुक्त होना चाहते थे, इन पापों से मुक्ति पाने के लिए पांडव भगवान शिव की आराधना करने के लिए हिमालय की ओर गए। लेकिन भगवान शिव जी पांडवों से छुपकर एक जगह से दूसरी जगह जा रहे थे, ऐसे ही शिव जी पांडवों से छुपते-छुपते केदार खंड आ गए, लेकिन किसी तरह पांडवों को पता चल गया की भगवन भोलेनाथ जी केदार में छुपे है।

पांडवों को केदार आता देख भगवन शिव जी ने एक बैल का रूप धारण कर दिया, लेकिन भीम ने उन्हें पहचान लिया और उन्हें पकड़ने की कोशिश की तो वह बैल धरती में सामने लगा तभी भीम ने बैल का कुबड़ा मजबूती से पकड़ दिया। भगवान भोलेनाथ पांडवों की भक्ति और दृढ संकल्प से प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन देकर हत्या के पापों से मुक्त कर दिय। तब से भगवान भोलेनाथ जी केदारनाथ में बैल की पीठ जैसे त्रिकोणाकार रूप में विराजमान है और इसी रूप में यहाँ उनकी पूजा होती है।

ऐसा भी कहा जाता है कि जब भगवान भोलेनाथ बैल के रूप में धरती में समाने लगे थे तो उनके सर से ऊपर धड़ का भाग काठमाण्डू (नेपाल ) में प्रकट हुआ जो की पशुपतिनाथ मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। इसके साथ-साथ भगवान शिव मुख रुद्रनाथ में, भुजाएं तुंगनाथ में, नाभि मद्महेश्वर में और जटा कल्पेश्वर में प्रकट हुए थे। इसी कारण इन चार स्थानों सहित श्री केदारनाथ को पंचकेदार के नाम से जाना जाता है। जिनके दर्शन मात्र से ही कोई भी जीव पाप मुक्त हो जाता है।

ऐसा भी कहा जाता है की केदारनाथ मंदिर का निर्माण पांडव के वंशज जनमेजय ने करवाया था और बाद में इस मंदिर का जिर्णोद्धार आदि गुरु शंकराचार्य जी ने करवाया था जो अब वर्तमान रूप में है।

केदारनाथ धाम के कपाट खुलने और बंद होने की प्रक्रिया

केदारनाथ मंदिर(Kedarnath Mandir)उत्तराखंड के पवित्र चार छोटे धामों में से एक धाम है। केदारनाथ मंदिर ६ महीने तक खुला और ६ महीने बंद रहता है। केदारनाथ धाम की यात्रा के लिए हर वर्ष मदिर के खुलने की तिथि तय की जाती है। यह तिथि हिंदू पंचांग की गणना के अनुसार ऊखीमठ में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर के पुजारियों द्वारा निकली जाती है।

केदारनाथ मंदिर के खुलने की तिथि अक्षय तृतीया के शुभ दिन पर और महा शिवरात्रि पर घोषित की जाती है। तथा केदारनाथ मंदिर की समापन तिथि नवंबर के आसपास दिवाली के बाद होती है। इसके बाद केदारनाथ मंदिर के द्वार शीत काल के लिए बंद कर दिए जाते हैं।

केदारनाथ मंदिर(Kedarnath Mandir)के पास घूमने केअन्य पर्यटन स्थल

अगर आप केदारनाथ मंदिर के दर्शन करने आये तो केदारनाथ के बाद आप यहाँ अन्य पर्यटन स्थल भी घूम सकते हो जो की आपके सफर को और भी आनंदमय बना देगा।

वासुकी ताल झील: वासुकी ताल केदारनाथ से लगभग 8 किमी की दूरी पर स्थित है यह समुद्रतल से 4135 मी की ऊँचाई पर है। जो की उच्च हिमालय क्षेत्र में स्थित है और यह चारों ओर बर्फीले पहाड़ों से घिरा हुआ है। यहाँ का मार्ग अति दुर्गम और खतरनाक है।

भैरवनाथ मंदिर: यह केदारनाथ से लगभग 1 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है।  भैरवनाथ मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, जहां से आप  हिमालय की पर्वत शृंखलाओं और पूरी केदारनाथ घाटी के दृश्य का आनंद ले सकते हो। माना जाता है की भैरव नाथ जी के दर्शन किये बिना भगवन केदारनाथ जी की यात्रा सफल नहीं होती।

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