Thamma Review in Hindi : Maddock Horror Comedy Universe की नई फिल्म जिसमें आयुष्मान खुराना और रश्मिका मंदाना ने निभाई वैम्पायर जोड़ी की कहानी। जानिए क्या ‘थामा’ ‘स्त्री’ और ‘भेड़िया’ जैसा जादू दिखा पाई या नहीं!
Thamma Review in Hindi:- “थामा” शायद भारत की पहली असली वैम्पायर कहानी की शुरुआत हो सकती थी और Maddock Horror Comedy Universe (MHCU) का एक नया चैप्टर भी। लेकिन अफसोस, यह फिल्म अपनी पहचान खुद नहीं बना पाई। जब ‘स्त्री’ रिलीज़ हुई थी, तब किसी ने नहीं सोचा था कि एक छोटे शहर की महिला चुड़ैल की कहानी इतना बड़ा ट्रेंड बना देगी। उस वक्त यह एक रिस्क भी था और एक्साइटमेंट भी। फिल्म में डर और कॉमेडी का ऐसा संतुलन था जो बिल्कुल नया लगा। भूत से डर भी लगता था और हंसी भी आती थी और इसी के साथ एक नया जॉनर जन्मा हॉरर-कॉमेडी।
‘स्त्री’ फिल्म का इरादा शायद कोई यूनिवर्स शुरू करना नहीं था, लेकिन वही फिल्म Maddock Universe की बुनियाद बन गई। इसके बाद आई फिल्मों ने दिखाया कि डर और मनोरंजन को मिलाकर समाज को सन्देश भी दिया जा सकता है।
MHCU की पहचान हॉरर-कॉमेडी के साथ कुछ सीख
MHCU की हर फिल्म ने कोई न कोई मैसेज दिया।
भेड़िया ने पर्यावरण संरक्षण की बात की,
स्त्री 2 ने समाज में महिलाओं के डर को दिखाया,
और मुंझा ने एकतरफ़ा प्यार और जुनून के बीच की पतली रेखा समझाई।
इन फिल्मों ने लोककथाओं को मॉडर्न कहानी के साथ बदला और यही Maddock की सबसे बड़ी ताकत बन गई। लेकिन अब जब बारी आई ‘थामा’ की, तो यह ताकत एक फॉर्मूला बन गई लगती है और वही इसकी सबसे बड़ी कमजोरी लगती है।
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कहानी में नया कुछ नहीं है, सब पहले जैसा ही लगता है
Thamma Review in Hindi:- ‘स्त्री 2’ में भी लगा था की फिल्म में थोड़ा ज़बरदस्ती हंसाने की कोशिश की गई है, लेकिन फिर भी उसका संदेश और हॉरर दोनों असरदार थे। वहीं ‘थामा’ बस उस फॉर्मूले को कॉपी करती नजर आती है। न इसमें ‘हॉरर’ वाला रोमांच है, न ‘कॉमेडी’ वाला मज़ा। ऐसा लगता है जैसे फिल्म अपने पुराने किरदारों की लोकप्रियता के सहारे खुद को खींच रही हो।
कहानी का आधार तो अच्छा है, पर गहराई नहीं
Thamma Review in Hindi:- Maddock की फिल्मों की खूबी रही है कि वह हॉरर को भारतीय लोककथाओं से जोड़ देती हैं
जैसे ‘स्त्री’ में कर्नाटक की लोककथा, ‘भेड़िया’ में नॉर्थ-ईस्ट की मिथ, और ‘मुंझा’ में कोकण की कहानी। ‘थामा’ में भी यही करने की कोशिश की है। यह वैम्पायरों को भारतीय मिथकों से जोड़ती है, विक्रम-बेताल और रक्तबीज की कथा के ज़रिए। रश्मिका मंदाना की ‘तातका’ (एक राक्षसी जिसे राम ने मारा था) और आयुष्मान का ‘आलोक’ इन दोनों का रिश्ता इस दुनिया में अच्छाई-बुराई की लड़ाई का प्रतीक बनता है।
आइडिया शानदार है, लेकिन फिल्म उसे विस्तार नहीं दे पाती। VFX ज़रूर बढ़िया हैं, पर कहानी और किरदारों में वह जान नहीं जो उन्हें यादगार बना सके। तातका और आलोक के बीच की केमिस्ट्री भी फीकी है जिससे यह “पहली वैम्पायर लव स्टोरी” अधूरी लगती है।
निष्कर्ष:
‘थामा’ बुरी फिल्म नहीं है, लेकिन इसमें उस तरह की कहानी नहीं है जिसने MHCU को खास बनाया था। यह फिल्म यूनिवर्स को आगे तो बढ़ाती है, पर खुद एक ठोस कदम नहीं बन पाती। ऐसा लगता है जैसे Maddock अब अपनी जादू की छड़ी लहराना भूल गया है। अगर आने वाली फिल्मों को इस जॉनर की चमक बचानी है, तो उन्हें फॉर्मूला नहीं, फिर से भावना और कहानी की जड़ों में लौटना होगा।
“थामा” फिल्म में मुख्य किरदार में कौन हैं?
“थामा ” फिल्म में आयुष्मान खुराना (आलोक) और रश्मिका मंदाना (तातका) मुख्य किरदार में हैं।
“थामा” एक हॉरर फिल्म है या कॉमेडी?
‘थामा ’ एक हॉरर-कॉमेडी फिल्म है, लेकिन इसमें हॉरर और कॉमेडी का संतुलन थोड़ा कमजोर है।
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