Rudraksh

Rudraksh-रुद्राक्ष एक जंगली फल है जो अधिकतर हिमालय, दक्षिण भारत के पहाड़ी क्षेत्र, असम और गंगा के तराई क्षेत्र में पाया जाता है। इसका फल जामुन की तरह नीला तथा बेर के फल की तरह स्वाद होता है यह अलग अलग आकार और अलग अलग रंग के होते है, जब रुद्राक्ष का फल सुख जाता है तो इसके ऊपर का छिलका निकाल दिया जाता है इसके बाद अंदर की गुठली ही रुद्राक्ष का रूप धारण करती है। हिन्दू धर्म में रुद्राक्ष की बहुत महत्वता है और इसके अद्भुद चमत्कार हर किसी को इसकी तरफ आकर्षित करते है। माना जाता है की इसे धारण करने से तन मन धन के कई विकार दूर किये जा सकते है।

रुद्राक्ष(Rudraksh)की उत्पत्ति कैसे हुई ?

रुद्राक्ष(Rudraksh)का उल्लेख हमें हमारे पुराणों में भी मिलता है, परंतु इनमे से 2 प्रमुख पुराण है (स्कन्द पुराण और शिव पुराण) इन पुराणों को पढ़ने से हमे पता चलता है की रुद्राक्ष का हमारे जीवन में कितना महत्व है। माना जाता है की एक समय भगवान् शिव जी ने संसार के कल्याण के लिए अपने मन को बस में करके कई सौ वर्षों तक तपस्या की और एक दिन तप करते-करते उनका मन बहुत दुखी हो गया और जब उन्होंने अपनी आँखे खोली तो उनमे से आँशु की बुँदे निकली और आँशु की उन बूंदो ने धरती में गिरकर पेड़ का रूप ले लिया।

फिर उन पेड़ो में से रुद्राक्ष की उत्त्पति हुई, भगवान् शिव हमेशा ही अपने भक्तो पर जल्दी प्रशन्न हो जाते है। यदि भगवान् शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करना हो तो रूद्राक्ष धारण करना लाभकारी होता है। रूद्राक्ष ऐसा चमत्कारी फल है जो भी इसे धारण करता है या इसके संपर्क में आता है वो इसके प्रभाव से अछूता नहीं रह पाता।

रुद्राक्ष(Rudraksh)के प्रकार

कहा जाता है कि रूद्राक्ष (Rudraksh) 21 मुखी तक होता है, पुराणों में तो 24 मुखी रुद्राक्ष का भी उल्लेख मिलता है। परन्तु साक्षात् प्राप्ति नहीं हो पाई है, कई पुराणों में तो सफ़ेद रुद्राक्ष का भी जिक्र है, किन्तु अभी तक किसी को इसकी प्राप्ति नहीं हुई है। इन 21 मुखी रुद्राक्ष में से सबसे ज्यादा प्रयोग11 प्रकार के रुद्राक्ष का किया जाता हैं। माना जाता है की रुद्राक्ष कितने ही मुख वाला क्यों न हो अगर आपकी श्रद्धा और पुरी आस्था भगवान् शिव शंभु एवम उनके अश्रु से उत्त्पन रुद्राक्ष पर है तो फिर ये रुद्राक्ष अपना चमत्कार दिखाता ही है।

रुद्राक्ष (Rudraksh)धारण करने के फ़ायदे

  • रुद्राक्ष धारण करते ही शरीर में एक तेज़ उत्त्पन्न होता है जो सभी नकारात्मक शक्तियों को धारण करने वाले व्यक्ति से दूर कर देता है।
  • रुद्राक्ष धारण करते ही शरीर में सकारात्मक सोच का विस्तार होना शुरू हो जाता है जिस से न बनने वाले कार्य भी स्वयं बनने लगते है।
  • रुद्राक्ष का तेज़ शरीर में न केवल बाह्य रूप से असर करता है अपितु ये आंतरिक विकारो को भी दूर करता है जैसे बी पी प्रॉब्लम, हार्ट प्रॉब्लम, जोड़ो में दर्द, गठिया का दर्द, बेचैनी, घबराहट, आदि कई रोगों को दूर करने में इसकी सकारात्मक शक्ति अपना पूरा असर दिखाती है।
  • आज व्यक्ति इस भीड़ भाड़ भरी जिन्दगी में यदि कही शांति ढूंढ़ता है तो वो है उसका अपना घर लेकिन अगर घर में भी कलेश एवं मनमुटाव रहे तो वह व्यक्ति जिंदगी से हार जाता है ऐसे में जो महान शक्ति सामने आती है वो है रुद्राक्ष जी हा रुद्राक्ष में ऐसी चमत्कारी शक्ति विद्यमान है जो आपसी मतभेद को भी दूर कर घर में शांति का वास प्रदान करती है।
  • मानसिक तनाव से ग्रसित व्यक्ति के लिए रुद्राक्ष एक राम बाण चमत्कार है इसकी सकारात्मक ऊर्जा जब शरीर के किसी भाग को स्पष्ट करती है तो वो बेचैन मन को शांत कर उस व्यक्ति को सोचने समझने की शक्ति प्रदान करती है।
  • एकाग्रता की कमी, काम में मन न लगना, रिश्तो में कड़वाहट जैसी अनेक सांसारिक परेशानियों को दूर करने में रुद्राक्ष काफी कारगर सिद्ध हुआ है।
  • यही नहीं धन सम्पदा में हानि, कारोबार में रूकावट, रिश्ते में देरी, किसी काम का न बनना, पढ़ाई में मन न लगना आदि जैसे दिक्क्तों को भी दूर करने में रुद्राक्ष बहुत लाभकारी सिद्ध होता है।

रुद्राक्ष (Rudraksh)धारण करने के नियम

  • यदि रुद्राक्ष धारण करना हो तो कुछ नियमो का पालन करना आवयश्क है जैसे यदि किसी रुद्राक्ष में कीड़ा लग जाये तो ऐसे रुद्राक्ष को धारण नहीं करना चाहिए ये सकारात्मक ऊर्जा को रोक देता है।
  • यदि आप तनाव से मुक्ति पाना चाहते है तो आपको 100 दाने की माला का जाप यदि मनोकामना पूर्ति के लिए इच्छुक है तो 140 दाने की माला का जाप तथा धन प्राप्ति के लिए 62 दानो की माला का जाप करना चाहिए।
  • जाप किये जाने वाली माला को गले में धारण नहीं करना चाहिए क्यूंकि रुद्राक्ष में अत्यधिक तेज़ होता है और उसे सहन करना कठिन हो जाता है।
  • रुद्राक्ष धारण करने के बाद मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • किसी जन्म या मरण वाले स्थान पर रुद्राक्ष को पहनकर नहीं जाना चाहिए ऐसे स्थान पर जाने से रुद्राक्ष में अशुद्धि उत्त्पन हो जाती है तथा उसका तेज़ कम होने लगता है और वो अपना असर कम कर देता है।
  • इस तरह की छोटी-छोटी बातो को ध्यान में रखकर हम रुद्राक्ष से चमत्कारी लाभ उठा सकते है।

रुद्राक्ष क्या है?

रुद्राक्ष एक पवित्र फल है जिसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। रुद्राक्ष भगवान भोलेनाथ जी के आंसुओं से उत्पन्न हुआ है। रुद्राक्ष धारण करने से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ मिलता हैं।

रुद्राक्ष कितने प्रकार के होते हैं?

रुद्राक्ष कई प्रकार के होते हैं जैसे :- एकमुखी, दो मुखी, तीन मुखी, चतुर्मुखी, पंचमुखी, छह मुखी से लेकर 21 मुखी तक लेकिन सबसे ज्यादा प्रयोग11 प्रकार के रुद्राक्ष का किया जाता हैं और हर प्रकार के रुद्राक्ष का अपना विशेष महत्व होता है।

क्या रुद्राक्ष धारण करने से मानसिक शांति मिलती है?

हां, रुद्राक्ष धारण करने से मानसिक शांति की प्राप्ति होती है और यह ध्यान लगाने में सहायक होता है। रुद्राक्ष को मानसिक संतुलन बनाए रखने और तनाव कम करने के लिए धारण किया जाता है।

रुद्राक्ष की माला में कितने दाने होते हैं?

रुद्राक्ष की माला में 108 दाने होते हैं। रुद्राक्ष धारण करने से नकारात्मकता समाप्त होती है और इसका धार्मिक महत्व भी है।

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