Categories Blog

Binsar Mahadev Mandir : A Temple Situated in The Middle of The Forest

Binsar Mahadev Mandir:- उत्तराखंड में भगवान शिवजी के कई मंदिर है, इन्हीं मंदिरों में से एक है बिनसर महादेव मंदिर जो अपने अध्यात्म, प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। बिनसर महादेव मंदिर(Binsar Mahadev Mandir) उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के थलीसैंण ब्लॉक के चौथान क्षेत्र में स्थित है।बिनसर महादेव एक प्राचीन मंदिर है कहा जाता है की इसे 9वीं / 10वीं शताब्दी में कत्यूरी राजवंश ने कत्यूरी शैली में बनाया था। लेकिन अब पुराने मंदिर को तोड़कर नए तरीके से संगमरमर के पत्थर से बनाया गया है।

यह मंदिर भगवान शिवजी को समर्पित है जो देवदार, बांज और बुरांश के घने जंगल के बीच स्थित है। बिनसर महादेव मंदिर दूधातोली क्षेत्र के अंतर्गत आता है जिसे उत्तराखंड का पामीर भी कहा जाता है। यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 2,480 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस मंदिर के पास माता गौरा का भी एक छोटा सा मंदिर है, जिसे ब्रह्म ढुंगी कहते हैं। बिनसर महादेव मंदिर को “बिंदेश्वर महादेव मंदिर” भी कहा जाता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बल्कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण से भी पर्यटकों और श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।  

बिनसर महादेव मंदिर(Binsar Mahadev Mandir)से जुडी पौराणिक कथाएँ

  • पांडवों से जुड़ी कथा – कहा जाता है की पांडवों द्वारा यह मंदिर एक ही रात में बनाया गया था, जब वह अज्ञातवास में थे,और उस समय भीम के कुर्ते में जितने पत्थर आये उन पत्थरों से पांडवों ने इस मंदिर का निर्माण किया था। माना जाता है की अज्ञातवास के समय पांडवों ने कुछ समय यहाँ बिताया था।
  • राजा पृथु और बिंदु से जुडी कथा – स्थानीय लोगो द्वारा ऐसा कहा जाता है की इस मंदिर का निर्माण राजा पृथु ने अपने पिता बिंदु की स्मृति में 9वीं या 10वीं शताब्दी में करवाया था। इस लिए इस मंदिर का नाम बिंदेश्वर महादेव मंदिर पड़ा ।

बिनसर महादेव मंदिर(Binsar Mahadev Mandir)के पास स्थित ब्रह्म ढुंगी

बिनसर महादेव मंदिर के पास ब्रह्म ढुंगी पहाड़ी पर माता गौरा का भी एक मंदिर है। ऐसा माना जाता है की जब भगवन शिव माता सती के वियोग में परेशान थे, तो उन्होंने गौरा देवी की स्थापना ब्रह्म ढुंगी में की थी। आज भी सभी गांव वाले साल की पहली फसल लगाने से पहले माँ की पूजा करते हैं, और फसल तैयार होने पर पहला चढ़ावा भी माँ को चढ़ाते हैं।

बिनसर महादेव मंदिर(Binsar Mahadev Mandir)के विशेष अवसर

बिनसर महादेव के कुछ विशेष अवसर होते हैं, जिनमें भक्तों का यहाँ जमावड़ा लगता है। आइये जानते हैं।

महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि का पर्व बिनसर महादेव का एक विशेष पर्व है, यह बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन भगवन शिव की विशेष पूजा अर्चना, रुद्राभिषेक और उनका ध्यान किया जाता है। इस दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए दूर- दूर से भक्तजन यहाँ आते हैं।   

वैकुंठ चतुर्दशी मेला

वैकुंठ चतुर्दशी के दिन बिनसर महादेव में एक भव्य मेला लगता है। इस दिन आस -पास के गांव वाले मेले में आते हैं और मंदिर के दर्शन करते हैं। वैकुंठ चतुर्दशी के दिन महिलाएं अपनी हाथ में दिया रखकर पूरे रात भर संतान प्राप्ति के लिए यहाँ प्रार्थना करती हैं। इस दिन भी यहाँ भगवन शिवजी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

सावन का महीना

हिन्दू धर्म में सावन के महीने को बहुत ही पवित्र महीना माना जाता है, क्यूंकि यह महीना भगवान शिव को समर्पित है। सावन का महीना शिव भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस पूरे महीने बिनसर महादेव मंदिर(Binsar Mahadev Mandir)में स्थानीय लोग व कांवड़ यात्री यहाँ आकर शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। सावन महीने के हर सोमवार को मंदिर में शिवलिंग के जलाभिषेक के साथ-साथ विशेष पूजा-अर्चना भी की जाती है। सावन के महीने में यहाँ मंदिर का दृश्य बहुत ही मनमोहक व प्राकृतिक सुंदरता से भर जाता हैं, मानसून के कारण चारों ओर हरियाली छाई रहती हैं, जिससे यहाँ का नजारा ओर भी अद्भुत हो जाता हैं।

बिनसर महादेव मंदिर(Binsar Mahadev Mandir)कैसे पहुंचे ?

आप बिनसर महादेव मंदिर के दर्शन करने के लिए सड़क, रेलवे और हवाई मार्ग से यहाँ आ सकते हैं। आइये जानते हैं :

सड़क मार्ग-  बिनसर महादेव थलीसैण से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ से आधे तक ही सड़क मार्ग से जाया जा सकता है उसके बाद मंदिर जाने के लिए ट्रैक करके जाना पड़ता है, जो की लगभग 12 किलोमीटर का ट्रैक है। थलीसैण राष्ट्रीय राजमार्ग व राज्य राजमार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यहाँ आप कोटद्वार और रामनगर दोनों ओर से आ सकते है।

रेल मार्ग – बिनसर महादेव जाने के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन कोटद्वार और काठगोदाम है। दोनों रेलवे स्टेशन की दूरी यहाँ से लगभग एक सामान है। रेलवे स्टेशन से टैक्सी या बस लेकर आप यहाँ पहुँच सकते हैं।

हवाई मार्ग –  वैसे तो जॉलीग्रांट हवाई अड्डा और पंत नगर हवाई अड्डा दोनों ही हवाई अड्डे से यहाँ पहुंचा जा सकता है, लेकिन देहरादून स्थित जॉलीग्रांट हवाई अड्डा देश के अन्य स्थानों से अच्छी तरह जुड़ा हुवा है। यहाँ से टैक्सी के माध्यम से बिनसर महादेव मंदिर पंहुचा जा सकता है। 

बिनसर महादेव मंदिर(Binsar Mahadev Mandir)से जुडी कुछ मुख्य बातें     

बिनसर महादेव एक पौराणिक मंदिर है जो भगवन भोलेनाथ को समर्पित है, जिसका निर्माण 9वीं व 10वीं शताब्दी में कत्यूरियों द्वारा किया गया था। यहाँ मंदिर में भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश और महिषासुरमर्दिनी की प्रतिमाएँ स्थापित हैं। हर साल वैकुंठ चतुर्दशी के दिन यहाँ मेला लगता है, जिसमे निसंतान महिलाएँ संतान प्राप्ति के लिए पूरे रात भर हाथ में दिया जला कर खड़ी रहती है। बिनसर महादेव का यह मंदिर देवदार, बांज और बुरांश के घने जंगल के बीच में स्थित है।

यहाँ इस स्थान में मंदिर के अलावा दूर-दूर तक कुछ और नहीं है। यहाँ से हिमालय का मनोरम दृश्य दिखाई देता है जिसमें त्रिशूल, चौखंबा आदि पर्वत शामिल है। गर्मियों में यहाँ का मौसम ठंडा व सुखद रहता है, मानसून में यहाँ चारों ओर हरियाली छाई रहती है और सर्दियों में यहाँ बर्फबारी होती है जो इस स्थान को एक अलग पहचान देता है। यह स्थान श्रद्धालुओं को न केवल आध्यात्मिक शांति का बल्कि प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण का भी अनुभव कराता है, जिससे लोग यहाँ आने के लिए आकर्षित होते हैं।

बिनसर महादेव मंदिर कहाँ स्थित है?

बिनसर महादेव मंदिर उत्तराखंड राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले के थलीसैंण ब्लॉक के चौथान क्षेत्र में स्थित है जो दूधातोली श्रृंखला के अंतर्गत आता है।

बिनसर महादेव मंदिर किस भगवान को समर्पित है?

बिनसर महादेव मंदिर भगवान शिव जी को समर्पित है, यह एक पौराणिक मंदिर है जिसे कत्यूरी राजाओं ने बनवाया था।

बिनसर महादेव मंदिर में रात्रि रुकने की व्यवस्था है?

नहीं यहाँ रात्रि में रुकने की व्यवस्था नहीं है क्यूंकि यह मंदिर घने जंगल के बीच स्थित है। यहाँ मंदिर परिसर में दो चार ही घर है जो यहाँ रहने वाले पुजारियों के लिए है। आप इस क्षेत्र के आस- पास स्थित गावों के होमस्टे, होटल आदि में रुक सकते हैं।

Also read…

nanda devi uttarakhand ki ishta devi

More From Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *