शिव स्तुति एक भक्ति गीत है। जिसमें भगवान शिव की महिमा की जाती है। शिव स्तुति में भगवान शिव के गुणों, लीलाओं, और दिव्यता की प्रशंसा की जाती है। शिव स्तुति करने से एक ऊर्जा का अहसास होता है। भगवान शिव को भक्ति और साधना के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।
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शिव स्तुति
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं । विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपं ।।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं । चिदाकाशमाकाशवासं भजेहं ।।
निराकारमोङ्कारमूलं तुरीयं । गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशं ।।
करालं महाकाल कालं कृपालं । गुणागार संसारपारं नतोहं ।।
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं । मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरं ।।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गङ्गा । लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजंगा ।।
चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं । प्रसन्नानं नीलकण्ठं दयालं ।।
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं । प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि ।।
प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं । अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं ।।
त्रय: शूल निर्मूलनं शूलपाणिं । भजेहं भवानीपतिं भावगम्यं ।।
कलावीत कल्याण कल्पान्तकारी । सदा सज्जदानन्ददाता पुरारी ।।
विदानन्द संदाह मोहापहारी । प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ।।
न यावद् उमानाथ पादारविन्दं । भजंतीह लोके परे या नराणां ।।
न वातात्सुखं शान्ति सन्तापनाशं । प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं ।।
न जानामि योगं जपं नैव पूजां । नतोहं सदा सर्वदा शंभु तुभ्यं ।।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं । प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो ।।
***श्लोक***
रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ।।
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ।।
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